रविवार, 28 जून 2009

विजय नम्रता ने ही पाई


आप सभी के लिए एक आद्याक्षरी विधा की कविता प्रस्तुत है :-
(कविता स्पष्ट पढने के लिए उपरोक्त बॉक्स को क्लिक करें।)
- विजय

6 टिप्‍पणियां:

Girish Billore Mukul ने कहा…

आपका नाम : विजय तिवारी
तो आपने "नम्रता" पा ही ली
अब ये तो डोमेस्टिक वायलेंस का मामला है हजूर
नम्रता वही न जो सांवली सलोनी आपके साथ कालेज में थी
बेहतरीन कविता के लिए आभार

Udan Tashtari ने कहा…

रचना बहुत अच्छी लगी.

एक निवेदन करना चाहता हूँ - आद्याक्षरी विधा के विषय में भी जानकारी देते तो हम सब का भी ज्ञानवर्धन होता और यदि कुछ धनाक्षरी छंदों के विषय में जानकारी दे पायें तो बहुत आभार होगा. निचेदन मात्र है.

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

नमस्‍ते, आपकी यह कविता बहुत अच्‍छी लगी, उडनतस्‍तरी जी से सहमत हूँ कृपया अध्‍याक्षरी विधा की जानकारी देने का कष्‍ट करे। वैसे तो एक विधा तो हम आपसे सीख ही चुके है।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

अध्‍याक्षरी विधा में लिखी गई कविता सुन्दर है।

Girish Billore Mukul ने कहा…

नम्रता के बारे में कुछ तो बताइये विजय जी

ताहम... ने कहा…
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