रविवार, 10 मई 2009

माँ

युग

बदले,

युगनेता

बदले ,

बदला

सकल

जहान ...

पर

बदला,

इस

दुनिया

में ,

माँ

का

हृदय

महान ..........
(मेरी लिखी ये पंक्तियाँ आज के परिवेश में कितनी सार्थक हैं ,मैं तो नहीं जानता , लेकिन ये आज के परिवेश और समाज में एक चिंतन का विषय जरूर बन गया है)

- विजय

10 टिप्‍पणियां:

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

युग

बदले,

युगनेता

बदले ,

बदला

सकल

जहान ...

पर



बदला,

इस

दुनिया

में ,

माँ

का

हृदय

महान ..........

माँ को नमन...!!

"अर्श" ने कहा…

MAA KO SAADAR NAMAN HAMESHAA SE HAMESHAA KE LIYE...


ARSH

शेफाली पाण्डे ने कहा…

ये पंक्तियाँ हर परिवेश में सार्थक हैं विजय जी

vandana gupta ने कहा…

vijay ji
sab badal sakta hai magar na to ma aur na hi ma ka swaroop aur na hi uska hriday...........chahe bachche use kitna hi videirn kyun na kar dein..........kyunki wo maa hai sirf maa.........uske hriday se apne bachchon ke liye sirf aashirwaad hi naikalta hai.

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

Sadar vandan usakaa jo maan ko sammaan kare

shikha varshney ने कहा…

In panktiyan hamesha hi sarthak hai vijay ji!

gyaneshwaari singh ने कहा…

bahut sahi likha hai
ma anahi badalti

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

युग बदले,युगनेता बदले ,बदला सकल जहान ...

पर न बदला, इस दुनिया में , माँ का हृदय महान

उपरोक्त पंक्तियाँ हर परिवेश में सार्थक हैं विजय जी
चन्द्र मोहन गुप्त

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सत प्रतिशत सच हैं ये पंक्तिया............पहले भी थीं,........आज भी उतनी हि हैं.....आगे भी रहेंगी उतनी हि सार्थक

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

उपरोक्त पंक्तियाँ हर परिवेश में सार्थक हैं |
वाह...बहुत खूब...