मंगलवार, 10 फ़रवरी 2009

दोहा श्रृंखला [दोहा क्र २९]

रंग वसंती खिल गए,

मादक चले बयार,

मिलते ही मन मीत के,

बरसे प्रेम फुहार
- किसलय

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बेहतरीन दोहा...विजय भाई.

vandana gupta ने कहा…

aapne to ek dohe mein hi sara sansaar lapet diya.