शुक्रवार, 23 जनवरी 2009

दोहा श्रृंखला [दोहा क्र २४]

जिसके जो प्रारब्ध में
उस पर नहीं विवाद
मिले कभी तो झोपड़ी
या पाये प्रासाद
-किसलय

4 टिप्‍पणियां:

समयचक्र ने कहा…

जो जिसके भाग्य में हो क्या बात है ...उम्दा दोहा .

Arvind Kumar ने कहा…

BHAGYA SABKUCHH NAHI HOTA PAR BHAGYA BHI HOTA HAI.

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

मिश्र जी, गौरव जी
मैं दोनों की बात से सहमत हूँ,
गौरव जी कर्म के साथ ही तथा कथित
भाग्य का लेखा जोखा होता है
- विजय

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

आपका सादर आभार
अदभुत पोस्ट के लिए