संस्कारधानी जबलपुर के साहित्य समाज ने आज दिनांक ०४ जन २००९ को संध्या ५.३० बजे "सुमित्र निवास " कोतवाली पर विगत २९ दिसम्बर-०८ को दिवंगत डॉ श्री राम ठाकुर दादा को श्रद्धांजलि अर्पित की ।
उपस्थित साहित्यकारों ने "दादा " के बहुआयामी व्यक्तित्व को लेकर अपने-अपने संस्मरण सुनाये .
सरल, सहृदयी, मिलनसार, हितचिन्तक, सामाजिक एवं साहित्यिक दोनों ही जीवन को समान रूप से जीने वाले, हर घटनाओं से अनुभव प्राप्त करने वाले जैसे गुणों का उल्लेख सभी ने किया .
श्रद्धांजलि सभाध्यक्ष प्रो जवाहर लाल चौरसिया "तरुण" सहित डॉ कुंदन सिंह परिहार, डॉ राज कुमार सुमित्र, श्री शिव प्रसाद शुक्ल "शिब्बू दादा " , रमेश सैनी, अतहर जी, प्रभात दुबे , धीरेन्द्र बाबु खरे, राजेश पाठक " प्रवीण", विजय तिवारी "किसलय", आनंद कृष्ण , कृष्ण कुमार चौरसिया "पथिक", मोहन लोधिया, कुँवर प्रेमिल, प्रदीप शशांक, सुश्री गीता गीत, " पत्रिका जबलपुर" के संजय तिवारी, डॉ श्री राम ठाकुर "दादा" के पुत्र राज कुमार ठाकुर आदि गण्यमान नागरिक उपस्थित रहे।
इस अवसर पर टोरंटो, कनाडा से गृह नगर जबलपुर आए श्री समीर लाल ने भी डॉ श्री राम ठाकुर दादा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि दादा जैसे व्यक्तित्व की झलक कहीं न कहीं मेरे साहित्य में भी मिलती है और ऐसे व्यक्तित्व से प्रभावित होना सहज है. मैं हिन्दी के माध्यम से ही अपने देश , अपनी भाषा से जुड़ा रह सकता हूँ.ऐसी मेरी सोच है.
अंत में दादा की आत्मशान्ति के लिए कुछ पल मौन रह कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई.
- विजय तिवारी "किसलय "
श्री समीर लाल "टोरंटो " का शोक सभा में वक्तव्य
उपस्थित साहित्यकारों ने "दादा " के बहुआयामी व्यक्तित्व को लेकर अपने-अपने संस्मरण सुनाये .
सरल, सहृदयी, मिलनसार, हितचिन्तक, सामाजिक एवं साहित्यिक दोनों ही जीवन को समान रूप से जीने वाले, हर घटनाओं से अनुभव प्राप्त करने वाले जैसे गुणों का उल्लेख सभी ने किया .
श्रद्धांजलि सभाध्यक्ष प्रो जवाहर लाल चौरसिया "तरुण" सहित डॉ कुंदन सिंह परिहार, डॉ राज कुमार सुमित्र, श्री शिव प्रसाद शुक्ल "शिब्बू दादा " , रमेश सैनी, अतहर जी, प्रभात दुबे , धीरेन्द्र बाबु खरे, राजेश पाठक " प्रवीण", विजय तिवारी "किसलय", आनंद कृष्ण , कृष्ण कुमार चौरसिया "पथिक", मोहन लोधिया, कुँवर प्रेमिल, प्रदीप शशांक, सुश्री गीता गीत, " पत्रिका जबलपुर" के संजय तिवारी, डॉ श्री राम ठाकुर "दादा" के पुत्र राज कुमार ठाकुर आदि गण्यमान नागरिक उपस्थित रहे।
इस अवसर पर टोरंटो, कनाडा से गृह नगर जबलपुर आए श्री समीर लाल ने भी डॉ श्री राम ठाकुर दादा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि दादा जैसे व्यक्तित्व की झलक कहीं न कहीं मेरे साहित्य में भी मिलती है और ऐसे व्यक्तित्व से प्रभावित होना सहज है. मैं हिन्दी के माध्यम से ही अपने देश , अपनी भाषा से जुड़ा रह सकता हूँ.ऐसी मेरी सोच है.
अंत में दादा की आत्मशान्ति के लिए कुछ पल मौन रह कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई.
- विजय तिवारी "किसलय "
श्री समीर लाल "टोरंटो " का शोक सभा में वक्तव्य
10 टिप्पणियां:
विजय भाई
इस पोस्ट का लिंक आज की मेरी पोस्ट के नीचे भी लगा दिया है.
http://udantashtari.blogspot.com/
समीर लाल
आदरणीय समीर भाई
सादर अभिवंदन
आप ने जबलपुर के दिवंगत ख्यातिलब्ध व्यंग्यकार डॉ श्री राम ठाकुर " दादा" की श्रद्धांजलि सभा में शामिल हो कर ये सिद्ध कर दिया है कि आप एक अच्छे साहित्यकार होने के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों का निर्वहन करने वाले एक अच्छे इंसान भी हैं. हम ये मान कर चल रहे हैं कि आपने यहाँ आकर अंतरराष्ट्रीय साहित्य जगत एवं अंतरराष्ट्रीय ब्लागर्स का प्रतिनिधित्व करते हुए "दादा" के प्रति सबकी ओर से संवेदनाएँ ज्ञापित की हैं.
आपका
-विजय
संवेदनाएँ
उस महामना को मेरी भी श्रद्धांजलि ..............
सादर वन्दे ...
मित्र
नमस्कार
आप भी दुःख की बेला में शरीक हुए
आभार.
आपका
- विजय
ज्योत्स्ना जी
संस्कारधानी जबलपुर के सपूत को श्रद्धांजलि देकर
आप भी हमारे दुःख में शामिल हुईं , आभार
आपका
विजय
मेरी भी गहरी संवेदनाएं एवं श्रद्धांजलि
गिरीश जी
आपकी सम्वेदनायें
एक सच्चे साहित्यकार के प्रति
आप के लगाव को
प्रदर्शित करता है.
-विजय
You these things, I have read twice, for me, this is a relatively rare phenomenon!
Personalized Signature:常州麻将,常州三打一,常州攻主,常州斗地主,常州4人升级
very very thanks for responce.
- vijay
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