मंगलवार, 9 दिसंबर 2008

दोहा श्रृंखला- ९

धागे संग गुथ ज्यों सुमन ,

बनते सुंदर हार ।


त्यों शिक्षा इंसान में ,


लाती उच्च विचार ॥


- किसलय

7 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढ़िया!!!

BrijmohanShrivastava ने कहा…

किसलय उपनाम शायद पत्ते को कहते है ,काश पुष्प को भी कहते होते खैर /
शिक्षा +कौन सी ओपन माउथ हां हां हां वाली या ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार वाली

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

परमजीत जी
सादर अभिवंदन
उम्मीद है आप कुशल होंगे
आप का मेरे में आना मेरे लिए
खुशी की बात है,
मेरा धन्यवाद स्वीकारें
आपका
विजय

समय चक्र ने कहा…

बहुत बढ़िया
उम्मीद है आप कुशल होंगे
धन्यवाद...

samayachakr

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

भाई जी
नमस्कार
मेरे ब्लाग में आने के लिए सर्वप्रथम मेरा आभार स्वीकारें
निश्चित रूप से किसलय पेड़ पौधों के शीर्ष पर उगने वाली ललामी लिए हुए कोमल-कोमल कोंपलें ही हैं
मेरा आशय सामान्य शिक्षा से ही है, विद्या निश्चित रूप से एक जरिए , एक अस्त्र, एक सर्वोत्तम साथी भी है. जिसके सहारे इंसान कभी निराश नही हो सकता
आपका
विजय

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

महेंद्र भइया
आप का बहुत बहुत आभार
आप ऐसा ही स्नेह बनाए रखें
आपका
विजय

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

paramjeet ji
saadar namaskaar
aapne mer blog "hindisahityasangam.blogspot.com men aakar meri housla afjaai ki, iske liye shukriya
aapka
vijay