सुनीता जी सर्व प्रथम हमारा अभिवंदन स्वीकारें. आपका उत्प्रेरण निश्चित रूप से संबल प्रदान करेगा, आभार. आपके ब्लॉग पर हिन्दी निकष देखकर भी अच्छा लगा , आननद कृष्ण जी मेरे अनुज सदृश हैं हम लोग जबलपुर म. प्र में कुछ न कुछ करते ही रहते हैं मुझे उम्मीद है भविष में भी आप से साहित्यिक स्नेह बना रहेगा आपका विजय तिवारी
बृजमोहन जी सादर अभिवंदन भूल करना तो है मनुष्य का स्वाभाव किंतु मूल में तो भावना पुनीत होनी चाहिए साँस धारने के पूर्व ठीक से विचार लो कि साँस धारने की कौन नीति होनी चाहिए सच में आपकी पंक्तियाँ भी प्रशंसनीय हैं सच में इंसान स्वभावतः सज्जन होता है , लेकिन परिस्थितियाँ उसे दिग्भ्रमित कर देती हैं आपका विजय
10 टिप्पणियां:
सुंदर अभिव्यक्ति
बहुत सही।
... बहुत सुन्दर ।
भाई परमजीत जी
सादर नमन
आपका स्नेह मिलता रहता है है, हम आपके आभारी हैं
आपका
विजय तिवारी किसलय
भाई रवींद्र प्रभात जी
नमस्कार
हमारे ब्लॉग पर आगमन हमारे लिए अतिथि देवो भव जैसा है.
स्नेह बनाये रखें
आपका
विजय किसलय
भाई श्याम कोरी 'उदय'जी
नमस्कार
मैंने दोहा श्रृंखला शुरू की है,
उम्मीद करता हूँ एक लंबे
अरसे तक जारी रहेगी
आपका आभारी हूँ
विजय तिवारी 'किसलय '
वाह क्या बात है, यहाँ आकर अच्छा लगा, बहुत अच्छा लिखते है आप, बधाई स्वीकारें...
भूल करना तो है मनुष्य का स्वाभाव किंतु मूल में तो भावना पुनीत होनी चाहिए
साँस धारने के पूर्व ठीक से विचार लो कि साँस धारने की कौन नीति होनी चाहिए
सुनीता जी
सर्व प्रथम हमारा अभिवंदन स्वीकारें.
आपका उत्प्रेरण निश्चित रूप से
संबल प्रदान करेगा,
आभार.
आपके ब्लॉग पर हिन्दी निकष
देखकर भी अच्छा लगा ,
आननद कृष्ण जी मेरे अनुज सदृश हैं
हम लोग जबलपुर म. प्र में कुछ न
कुछ करते ही रहते हैं
मुझे उम्मीद है भविष में भी आप
से साहित्यिक स्नेह बना रहेगा
आपका
विजय तिवारी
बृजमोहन जी
सादर अभिवंदन
भूल करना तो है मनुष्य का स्वाभाव किंतु मूल में तो भावना पुनीत होनी चाहिए
साँस धारने के पूर्व ठीक से विचार लो कि साँस धारने की कौन नीति होनी चाहिए
सच में आपकी पंक्तियाँ भी प्रशंसनीय हैं
सच में इंसान स्वभावतः सज्जन होता है , लेकिन परिस्थितियाँ उसे दिग्भ्रमित कर देती हैं
आपका
विजय
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