सोमवार, 15 दिसंबर 2008

हाथों पर खिंची लकीरें केवल,
बतलाती हैं तकदीरें
नियाजमंद को लेकिन जग में,
खुशी दिलातीं तदवीरें

यादावारी खुदा की यारो
हमें भेजती है जन्नत.
खालिक की निस्बत ही हमको,
देती रोज-रोज हिम्मत ..

नफरत से जैसे घटता है,
अमन और भाईचारा.
वैसे ही इंसानी दिल में,
नीम हकीमी बने शरारा...

- डॉ. विजय तिवारी "किसलय"

12 टिप्‍पणियां:

vijay kumar sappatti ने कहा…

bahut sundar kavita hai ,

bhaav bhi gahare hai

aapko bahut badhai

vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/

ज्योत्स्ना पाण्डेय ने कहा…

बहुत अच्छा प्रयास ..........लिखते रहिये

आपको मेरी शुभ-कामनाएं

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

आदरणीय विजय जी
सबसे पहले मेरा अभिवंदन स्वीकारें
मेरी रचना पढने एवं अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आभार
उम्मीद है भविष्य में भी स्नेह बनाये रखेंगे
आपका
विजय तिवारी किसलय

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

स्नेहिल ज्योत्सना जी
सादर नमस्कार
आपकी शुभकामनाओं के लिए आभार
आप ने मेरी रचना के माध्यम से हमारे साहित्यिक मित्रों की श्रेणी
में स्थान बनाया , मैं हृदय से स्वागत करता हूँ,और भविष्य में भी स्नेह की अपेक्षा रखता हूँ
आपका
विजय

ज्योत्स्ना पाण्डेय ने कहा…

vijay ji ,abhivaadan.

rishton men paane ka prayaas aapako swarthi banaa deta hai aur na milane par dukh ka karan bhi banataa hai

nishchhal aur niswarth prem sadaiv kuchh dene ko protsahit karataa hai ......yadi aisa hua to nishchay hi aap apane ko kai bhai bahanon ke beech payenge.

ishwar aapko aaghaton se door rakhe ...shubh kamanaaye

धीरेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

bahut sundar achhche bhaw hai

Amit K Sagar ने कहा…

कटाक्ष करती एक उम्दा रचना. वधाई. जारी रहें.

महेंद्र मिश्र.... ने कहा…

अच्छा प्रयास,उम्दा रचना.वधाई.

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

धीरेन्द्र पाण्डेय जी
नमस्कार
आपकी यह टिप्पणी भी मुझे
हौसला देगी ...
आपका
विजय

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

अमित के सागर जी
नमस्कार

आप मेरे ब्लाग पर आए धन्यवाद
लेकिन विनम्रता पूर्वक पूछना चाहता हूँ कि, इस
रचना में जैसा कि आपने कहा है -
"कटाक्ष करती एक उम्दा रचना. वधाई. जारी रहें." कृपया बताएं कि मैंने कटाक्ष कहाँ किया है ?
अथवा आप मेरी रचना पर कैसी भी टिप्पणी देना चाहते थे. यदि आपको बुरा लगा हो तो एक मित्र कि बात समझ कर नज़र अंदाज़ कर दें.

आपका
विजय तिवारी किसलय

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

मिश्रा जी
नमस्कार
आपकी प्रतिक्रिया
के लिए आभार
आपका
विजय

Doobe ji ने कहा…

tiwari ji sadar namaskar aap se blog par aur phone par sampark hua acha laga aab regular mulakat hoti rahegi