सोमवार, 25 अगस्त 2008

राधा नीर बहाए

राधा नीर बहाए
व्याकुल बिरहन मन को दुखाए

पलकों में वो रैन बिताए
दिन में डगर निहारे

सबसे पूछे कब आएँगे
बृज अरविंद हमारे

आश् -निराश भरी राधा को
हर सखि धीर बँधाए

राधा नीर बहाए
व्याकुल बिरहन मन को दुखाए

कुंज गलिन में राधा टेरे
आओ कुंज बिहारी

तुम बिन सारी गोकुल सूनी
सूनी "रहस" हमारी

नेह लगाकर सुधि बिसराई
और हो गये पराए

राधा नीर बहाए
व्याकुल बिरहन मन को दुखाए

- डॉ. विजय तिवारी "किसलय"
जबलपुर

1 टिप्पणी:

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

SADAR PRANAM
BEHAD SARAS LAYATMAK KAVITAA HAI
BADHAI