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मो - हित हैं गुरु की महिमा से,
ह - रते ये दुख संकट सारे ॥
न - यन मूंद कर याद करे जो,
दे - ख सकेगा अपने द्वारे ॥
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श - त - शत वंदन है गुरुवर का,
पा - वन होते दरश तुम्हारे,,
न् - यौछावर तुम पर सब मेरा,
डे - रा डालें न अँधियारे....
:-विजय तिवारी " किसलय "
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