रविवार, 1 जून 2008

(सुनीता मिश्रा सुनीत)


श्रीमती सुनीता मिश्रा सुनीत जबलपुर की एकमात्र ऐसीसाहित्यकार हैं जिन्होंने बहुत ही कम समय में ख्याति अर्जित की है. आप कवितायें, कहानियाँ तो लिखती ही हैं, आपके पारम्परिक एवं धार्मिक कथा और भजन संग्रह काफी लोकप्रिय हैं इनकी एक रचना देखें :-
प्रार्थना नारी की
मातःपिता के
मन में अंकुरित
इच्छाओं की मूर्ति बनूँ
प्रिय स्वजनों के
अरमानों की
पूर्ति बनूँ

-०-

शशि से मिले
निर्मल शीतलता
जो मेरी
पहचान बने

-०-
षट्ॠतु दें
मुझे वह मुस्कान
जिससे हों पुलकित
गिरि कानन
नीरोग निर्विकार
हो मेरा जीवनधन
-०-
नित उत्साह से भरें
मेरे पावन नयन
जिन्हें देखते ही
नेह से भर जायें
स्वजनों के मन
-०-
हो रवि सा
ज्योतिर्मय भाल
जिससे निखरे
कुल की लाली
-०-
हे प्रभू
मुझे आशीष दो
सद्गुणों, संस्कारों से
भरा रहे दामन
रहे न कभी खाली
-०-
-९४८, रामचरन विला
अंडरब्रिज के पास,
मदनमहल,जबलपुर

(प्रस्तुति विजय तिवारी ' किसलय ' )

कोई टिप्पणी नहीं: