कबीर महोत्सव 2008 बुधवार 18 जून 2008 समय सायं 6 बजेमाखन लाल चतुर्वेदी सभा भवन, सुपर मार्केट, जबलपुर
ऐसी वाणी बोलिए , मन का आपा खोय
औरहु को शीतल करे, आपहु शीतल होय
मान्यवर, समाज सुधारक, अद्भुत साहित्य – शिल्पी
एवं प्रखर संत कबीर दास जी की जयन्ती दिनांक 18 जून 2008 को संस्था द्वारा “ कबीर महोत्सव ” के रूप में आयोजित है
आप सपरिवार आमंत्रित हैं
अतिथिमुख्य अतिथि :- डॉ एस एम् पाल खुराना कुलपति, रानी दुर्गावती विश्व विद्यालय, जबलपुर
कार्यक्रम अध्यक्ष :- श्री विशाल पचौरीअध्यक्ष जबलपुर विकास प्राधिकरण
विशिष्ट अतिथि :- श्री नरेश सराफ , अध्यक्ष , नगर कांग्रेस कमेटी, जबलपुर।
साहित्य सहयात्री सम्मान
इंजी आर आर दुबे वरिष्ठ संमाज सेवी
प्राचार्य फ़ादर डेविस सर्व धर्म समभाव सेवी
स्थान एवं समय
माखन लाल चतुर्वेदी सभा भवन, सुपर मार्केट, जबलपुर,
सायं 6 बजे से
संगीतमय कबीर गायन :-
लोक गायक श्री डब्बल चौधरी एवं साथियों द्वारा,
समय ; सायं 4 बजे से
विनायावत
प्रतुल श्रीवास्तव अध्यक्ष , डॉ विजय तिवारी “किसलय” उपाध्यक्ष ,
डॉ आनद चतुर्वेदी सचिव , यशोवर्धन पाठक सह सचिव , सुश्री रानी तिवारी संगठन सचिव ,
डॉ के एस दाहेरिया प्रचार सचिव ,
ओंकार श्रीवास्तव संस्थापक
आयोजन समीति
पुरषोत्तम गुप्ता, कविवर मणि ‘मुकुल’, शिव नारयण पाठक , श्री मती ज्योति शर्मा, श्रीमती मंजू पांडे,
डॉ रजनीश गर्ग , पं सुबोध दुबे, सतीश रांका, डॉ मुकेश जैन,रमाकांत गौतम, के के तिवारी,
सुश्री देवी बाला तिवारी , विजय नेमा ‘अनुज, मनीष गुजराती
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3 टिप्पणियां:
जीजू जी सादर प्रणाम
आपके ब्लॉग'स का कलेवर बेहद रोचक मोहक सुंदर बन गया है
आप ने माडरेशन का बंधन हटा के जो पुनीत कार्य किया उससे
अब हम सहजता से टिपिया सकतें हैं
सहचर की प्रस्तुति कबीर महोत्सव 2008 बुधवार 18 जून 2008 समय सायं 6 बजेमाखन लाल चतुर्वेदी सभा भवन, सुपर मार्केट, जबलपुर में हुई ब्लॉग पे पढ़ के खुशी हुई . मुझे रोटी-पानी के जुगाड़ में दिन रात की भटकन रहती है, न पहुँचने के लिया माफ़ी चाहता हूँ !
भाई राजेन्द्र जैन "रतन" को ब्लॉग पे स्थान दे कर आपने काबिले तारीफ़ मसला है
कई अकिंचन माने जाने वाले साहित्यकार हैं संस्कार धानी में ! सच उनको अंतर्जाल पे लाने की आपकी इस कोशिश की तारीफ़ ही करूंगा.
आपका स्नेहभाजन
गिरीश बिल्लोरे "मुकुल"
गिरीश जी
ब्लॉग'स के कलेवर की तारीफ के लिये शुक्रिया .
भाइउनको अंतर्जाल पे लाने की आपकी इस कोशिश
भाईजी साहित्यकारों को अंतर्जाल पे लाने की कोशिश मेरी ही क्यों हम सभी की होना चाहिये तभी हम संस्कारधानी और साहित्य को गरिमा प्रदान कर पायेंगे
आपका अपना
विजय तिवारी किसलय
जी हम सभी की जिम्मेदारी होना चाहिये सत्य हम सब जिम्मेदार हैं
शायद आपने मेरे ब्लॉग'स पर आप सहित कई लोगों का विवरण देखा होगा
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