सोमवार, 26 मई 2008

विवेचना ने जन संस्कृति दिवस मनाया

विवेचना ने जन संस्कृति दिवस मनाया



विवेचना ने दिनांक 25 मई 08 को इप्टा के स्थापना दिवस को जन संस्कृति दिवस के रूप में मनाया. गोविन्दराम सेकसरिया महाविद्यालय सिविल लाइन्स जबलपुर में आयोजित कार्यक्रम के प्रथम चरण में विवेचना के सचिव श्री हिमांशु राय ने विवेचना का इतिहास, गतिविधियाँ एवं राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में इप्टा के महत्व और उससे संबद्ध राष्ट्रीय स्तर के महत्वपूर्ण लोगों का उल्लेख कर अपने वक्तव्य को विराम दिया। श्री जयंत वर्मा ने जन संस्कृति के दोनो पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा की जहाँ एक वर्ग अपना पेट भरने के लिए संघर्षरत हो और दूसरा वर्ग धनाढ्य होता जा रहा हो, तब ऐसे में हम किस जन की जन संस्कृति की बात करते हैं? उनकी दृष्टि से ये विषमता दूर होना चाहिए डॉ आशुतोष श्रीवास्तव ने भी अपने विचार रखते हुए सामाजिक सरोकारों और नैतिक मूल्यों में गिरावट पर चिंता व्यक्त की. मंचासीन माननीया सुखदा पांडे, ख्यातिलब्ध रंगकर्मी श्री महेश गुरु ने भी अपने विचार व्यक्त किए

कार्यक्रम के दूसरे चरण में वरिष्ठ साहित्यकार स्व। विजय तेन्दुल्कर के निधन पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई जन संस्कृति दिवस कार्यक्रम का संचालन कर रहे श्री बांके बिहारी ब्योहार के साथ नगर के गण्यमान डॉ मलय, श्री राजेंद्र दानी,बसंत काशीकर, पंकज स्वामी 'गुलुश' , डॉ विजय तिवारी 'किसलय' धीरेन्द्र बाबू खरे, प्रभात दुबे, अजय प्रकाश आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।
- डॉ विजय तिवारी "किसलय "


1 टिप्पणी:

samagam rangmandal ने कहा…

विवेचना सच में जबलपुर के नाट्य जगत का चेहरा है,कितुं दुःख होता है,यह चेहरा दो हिस्सो में बँट गया है। पोस्ट हेतु बधाई!