सु- रभित-शोभित उपवन मन का,
... मधुर-सुखद फूलों के सपने।
जा- ना हमने खुशबू देकर,
जा- ना हमने खुशबू देकर,
......बनें गैर भी कैसे अपने ॥
ता- ने दे चाहे जग सारा,
ता- ने दे चाहे जग सारा,
..... दृढ़ - संकल्पित- कदम रुकें ना ,
श- ब्दों के मृदु-मानदंड पर,
श- ब्दों के मृदु-मानदंड पर,
..... अटल रहें हम कभी झुकें ना॥
र- सना से प्रस्फुटित ज्ञान की,
र- सना से प्रस्फुटित ज्ञान की,
... हितकर, प्रेममयी - धारा ,
मा- नवता को बिखरायेगी,
मा- नवता को बिखरायेगी,
.......सबके आँगन - चौबारा ॥
( सु जा ता श र मा के नाम पर लिखी
यह कविता " आद्यक्षरी " विधा का उदाहरण है । )
- विजय तिवारी ' किसलय '
- विजय तिवारी ' किसलय '
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