अन्तरराष्ट्रीय ब्लॉगर डे - 2024
आज से करीब 20 वर्ष पूर्व अन्तरजाल और उसके कुछ प्लेटफार्म्स के बारे में टी वी, रेडियो तथा प्रिंट मीडिया से हम पढ़ते और सुनते रहते थे। कम्प्यूटर, मोबाईल, अन्तरजालीय स्थानीय व व्यक्तिगत परिस्थितियों वश हम चाहते हुए भी न इनका उपयोग कर पा रहे थे, न ही लाभान्वित हो पा रहे थे। तीव्र जिज्ञासा बनी रहने के कारण संसाधन के आते ही हम अंतरजाल से जुड़ गए। वर्ष 2006-07 तक हिन्दी ब्लॉगिंग, चिट्ठा जगत जैसे प्लेटफार्म संघर्ष कर रहे थे। मोटे तौर पर उन दिनों पूरे विश्व में हिन्दी ब्लॉगर्स की संख्या तीस से चालीस हजार का आंकड़ा छू पाई थी।
हमें सुखद अनुभूति होती है कि हम जबलपुर के प्रारंभिक हिन्दी ब्लॉगरों में हैं। मेरा ब्लॉग- हिन्दी साहित्य संगम है। hindisahityasangam.blogspot. com
उन दिनों हम ब्लॉग्स में नियमित अपनी रुचि, अपने साहित्य, सामाजिक, धार्मिक, सामयिक तथा सम्पन्न कार्यक्रमों, विशिष्ट उपलब्धियों, पर्वों और विशेष दिनों पर कुछ न कुछ जरूर पोस्ट किया करते थे।
रोज पढ़ना और रोज लिखने की निरंतरता से सृजनात्मकता को बल तक मिला ही, घर बैठे पूरे विश्व में हमें पहचान मिली।
अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, अरब यहाँ तक कि जहाँ जहाँ भारतीय, हिन्दी और हिन्दी ब्लोगेर्स से सभी साहित्यिक बंधन में बँधते गए।उन में से आज भी बहुत से मित्र हैं जो हमसे संपर्क में हैं। हमारा अपने पूरे देश में भी एक बहुत बड़ा संपर्क समूह है।
फेसबुक, इंस्ट्राग्राम, टेलीग्राम, एक्स, वाट्सएप जैसी त्वरित प्रणालियों के कारण ब्लॉग्स बहुत हद तक पिछड़ गया है। ई-पेपर्स, गूगल सर्च इंजन और अब 'ए आई' की सुविधाएँ समयानुकूल होने के कारण ज्यादा प्रचलित हैं।
बावजूद इन सबके हम ब्लॉगर्स पर गर्व करते हैं । टाइपिंग, भाषा, छवियाँ, विभिन्न अन्तरजालीय सुविधाओं की अनुपलब्धता होने पर भी हमने अन्तरजाल को हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के प्रचार-प्रसार का आधार बनाया, जिसका वर्तमान में हम सर्वसम्मुख परिणाम दिखाई दे रहा है।
"ब्लॉगर डे" पर सभी को शुभभाव देते हुए मैं यह कहूँगा कि लोग ब्लॉग्स जरूर लिखें और नियमित पढ़ें भी।
- डॉ. विजय तिवारी 'किसलय'