शनिवार, 3 अक्टूबर 2020

हमको ऐसा देश, चाहिये

हमको ऐसा देश, चाहिये
 
नैनों में हो, नेह समाया, 
सद्गुण हो, सबका आभूषण 
निश्छलता अपनाने वाले, 
कर्मठ मनुज, विशेष, चाहिये
हमको ऐसा देश, चाहिये
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स्वाभिमान हर, माथे दमके, 
राष्ट्रप्रेम, हो सबके अंतस 
धर्म-कर्म, की अलख जगाने,
गीता के उपदेश, चाहिये 
हमको ऐसा देश, चाहिये
        ... .....✴️..... 
आतंकी, खल, दुर्धर्षों का,
कर डालें, अब पूर्ण सफाया।
सीमा पर, मर-मिटने वाले, 
भावों का उन्मेष, चाहिये।।
हमको ऐसा देश, चाहिये
        ... .....✴️..... 
स्थिरता हो, अनुशासन हो, 
देशप्रगति, की रहे लालसा 
औद्योगिक, तकनीकि क्रांति का,
वृहद, नवल,परिवेश, चाहिये
हमको ऐसा देश, चाहिये
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प्रतिभाओं के, सदुपयोग से,
हो भविष्य, युवकों का उज्ज्वल।
रोजगार, देने संकल्पित, 
शिक्षा में संदेश, चाहिये, 
हमको ऐसा देश चाहिये
      ... .....✴️..... 
भगवद्गीता, वेद-ऋचायें,
भारत की, बहुमूल्य विरासत।
संस्कार, आदर्श, ज्ञान का,
बहुआयामी वेश, चाहिये।।
हमको ऐसा देश चाहिये
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 - डॉ. विजय तिवारी 'किसलय' 
 

 

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