हमको ऐसा देश,
चाहिये
नैनों में हो, नेह समाया,
सद्गुण हो, सबका आभूषण
निश्छलता अपनाने वाले,
कर्मठ मनुज, विशेष, चाहिये
हमको ऐसा देश, चाहिये
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स्वाभिमान हर, माथे दमके,
राष्ट्रप्रेम, हो सबके अंतस
धर्म-कर्म, की अलख जगाने,
गीता के उपदेश, चाहिये
हमको ऐसा देश, चाहिये
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आतंकी, खल, दुर्धर्षों का,
कर डालें, अब पूर्ण सफाया।
सीमा पर, मर-मिटने वाले,
भावों का उन्मेष, चाहिये।।
हमको ऐसा देश, चाहिये
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स्थिरता हो, अनुशासन हो,
देशप्रगति, की रहे लालसा
औद्योगिक, तकनीकि क्रांति का,
वृहद, नवल,परिवेश, चाहिये
हमको ऐसा देश, चाहिये
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प्रतिभाओं के, सदुपयोग से,
हो भविष्य, युवकों का उज्ज्वल।
रोजगार, देने संकल्पित,
शिक्षा में संदेश, चाहिये,
हमको ऐसा देश चाहिये
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भगवद्गीता, वेद-ऋचायें,
भारत की, बहुमूल्य विरासत।
संस्कार, आदर्श, ज्ञान का,
बहुआयामी वेश, चाहिये।।
हमको ऐसा देश चाहिये
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- डॉ. विजय तिवारी 'किसलय'
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