मेरे पास कलचुरियों की राजधानी त्रिपुरी (वर्तमान तेवर ,भेडाघाट रोड, जबलपुर, मध्य प्रदेश ) से प्राप्त १००० वर्ष से भी ज्यादा पुराना गेहूँ सुरक्षित रखा है. गेहूँ के ये दाने पुराने होने के कारण काले पड़ गए हैं. जमीन के नीचे से निकले इन गेहूँ के दानों को सन १९८१ में जब परीक्षण हेतु बीरबल साहनी पेलियो बाटनी इंस्टिट्यूट लखनऊ भेजा गया तो इन्हें करीब ९५० वर्ष पुराना बताया गया. इनको छठवीं शताब्दि यानी कलचुरी कालीन बताया गया जैसा सभी जानते हैं कि कलचुरियों का साम्राज्य पाँचवीं सदी से बारहवीं सदी का माना गया है. त्रिपुरी को इसकी यशस्वी राजधानी होने का गौरव हासिल है.
(साधना न्यूज मध्य प्रदेश से साभार,१२अप्रेल २०१२ )
6 टिप्पणियां:
badhai ho jeejoo
वाह! यह तो वाकई बड़ी उपलब्धि है!
क्या बात है ..
वाकई क्या त्रासदी है अपने ही इतिहास के सबूतों पर हम यकीन नहीं करते अभी किसी विदेशी को यह पता चलता तो कब का इसपर शोध शुरू हो गया होता.
शिखा जी,
टिप्पणी के लिए हम आभारी हैं.
आप ने सही कहा है ,
इसे त्रासदी ही कहा जाएगा .
- विजय
गिरीश जी, शाह नवाज़ जी
टिप्पणी के लिए हम आभारी हैं.
- विजय
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