रविवार, 19 जून 2011

संस्कारधानी के अपनत्व का कायल हूँ - राकेश भ्रमर.

                          अपनी पद स्थापना के पूर्व से ही मैं जबलपुर के साहित्यकारों और संस्कारों से परिचित था.   यहाँ के लोगों का खुले दिल से मिलना अन्यत्र दुर्लभ है.    मैं संस्कारधानी के अपनत्व का  कायल हूँ.    ड्रीमलेण्ड, सिविक सेण्टर में वर्त्तिका द्वारा आयोजित विदाई समारोह में ये भावाभिव्यक्ति  थी जबलपुर से दिल्ली स्थानान्तरित हुए मासिक प्राची के सम्पादक श्री राकेश भ्रमर की.   कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. जवाहर लाल तरुण, विशिष्ट अतिथिद्वय कामता सागर एवं अन्शलाल पंद्रे ने श्री भ्रमर को उनके यशस्वी जीवन की शुभकामनाएँ दी. वर्त्तिका के सम्पादक डॉ. साज़ जबलपुरी ने भ्रमर जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला.   ओंकार श्रीवास्तव,  डॉ. अनामिका तिवारीमनोहर शर्मा माया,  मोहन लाल लोधिया, मनोहर चौबे आकाश, कुँवर प्रेमिलमुइनुद्दीन अतहर,  मुकुल दत्ता अर्पित, संध्या श्रुति,  सुनीता मिश्रा ने भी श्री भ्रमर का अभिनन्दन कियाआभार प्रदर्शन डॉ. गीता गीत एवं संचालन विजय तिवारी 'किसलयद्वारा किया गया.     कार्यक्रम का द्वितीय चरण वर्तिका की मासिक गोष्ठी के साथ संपन्न हुआ   

7 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

आभार इस रपट का.

vandana gupta ने कहा…

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (20-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

SHAKTI PRAJAPATI ने कहा…

IS SHEHAR MEIN JAB BHI SIDHE SACCHE LOGON KI BAAT HOGI
TO LOG APKI MISAL DENGE OR APKO YAAD KARENGE.

shikha varshney ने कहा…

बहुत सुन्दर .आभार .

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अच्छी रिपोर्ट

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

bdhaai ho jnaab................akhtar khan akela kota rajsthan

Girish Kumar Billore ने कहा…

आभार रिपोर्टिंग के लिये
परंतु कार्यक्रम की सूचना भी
एक एस एम एस से दे दिया कीजिये