(अपनी कलाकृति के साथ मूर्तिकार शक्ति प्रजापति ) |
महँगाई से तंग आकर सरकार को एक अलग ही तरीके से अपना विरोध दर्ज कराने का तरीका लोगों ने अख्तियार किया है. हमें पता चला है कि मध्य प्रदेश स्थित कटनी शहर के युवाओं ने इस बार तय किया है कि वे महँगाई डायन के रूप में होलिका दहन करेंगे.
इसके लिए उन्होंने अपने इरादों को अमल में लाने के लिए बाकायदा मूर्तिकार को निर्देशित किया कि वे अपनी कल्पनाशक्ति से एक सुन्दर, आकर्षक एवं दिशाबोधी होलिका की प्रतिमा का निर्माण करें जो उनकी अपेक्षाओं पर खरी उतरे.इसके लिए शायद कटनी वासियों को जबलपुर के मूर्तिकार एवं चित्रकार शक्ति प्रजापति पर ही भरोसा था कि वे ही इस कार्य को बखूबी कर पायेंगे और सच मानिए हुआ भी ऐसा ही.
आज शाम को जब मैं कार्यालय से लौटते वक्त उनकी कार्यशाला पहुँचा तो देखा कि वे अपने अनुज एवं जीजाजी के साथ कला को मूर्तरूप देने में तल्लीन थे. प्रतिमा को देख कर मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि इस फाल्गुन माह में इतनी विकराल, खाने को दौड़ने वाली तथा अपने हाव भाव से सब कुछ कह जाने वाली महँगाई जैसी इस युग की कौन सी राक्षसी हो सकती है? मेरे पूछने पर शक्ति जी ने जब उपरोक्त कहानी कहानी बतायी तो सारा माजरा समझ में आ गया.
शक्ति की कल्पना ने कलात्मक, आकर्षक, आदमकद, उद्देश्यपरक एवं बेजोड़ प्रतिमा को सार्थक रूप देकर पहला काम तो कर दिया है और दूसरा महत्वपूर्ण कार्य कटनीवासी करने वाले हैं.
अब देखने वाली बात ये है कि देश के अंधे-बहरे-गूँगे प्रशासन को क्या समझ में आता है.
फिलहाल आप शक्ति प्रजापति की कला का बारीकी से अवलोकन करें. प्रशंसा और अपनी खरी- खोटी बात इस अलहदा कलाकार तक अवश्य पहुँचाएँ.
(शक्ति द्वारा की गयी ये है महँगाई डायन की कल्पना) |
प्रस्तुति-
-विजय तिवारी 'किसलय'
6 टिप्पणियां:
सच में मंहगाई का बुरे के रूप में दहन बड़ा सार्थक प्रतीत होता है..... होली की अग्रिम शुभकामनायें
शक्ति प्रजापति को बहुत-बहुत बधाई!
डॉ. किसलय का आभार!
सार्थक सोच...सार्थक प्रयास...
हार्दिक शुभकामनायें .
बेहद उत्तम कलाकृति………… मंहगाई का दहन इस बार …………यही सही होगा
महंगाई डायन की कलाकृति अच्छी लगी |
होलिका दहन पर अच्छी पहल ....
कलाकार प्रणम्य है |
SABSE PEHLE MEIN DER SE JAWAB DENE KE LIYE CHAMAPRARTHI HUN.
"""""vijay ji""""yeh naam mere hriday mein ankit ho chuka hai,sahitya or kislay ji ek dusre ke paryay ban chuke hain,or ve apne chote se dil mein sare sansar ko samete baithe hain,
unhi ki prerna se jeevanpath par age badhne ki koshish karta hun.
KISLAY JI
abhar pradarshan mujhe ata nahin,aur kya kahun mein to bas apki seva mein upasthit rehta hun.
HAAN SABHI PRASHANSHAKON KA MEIN BAHUT BAHUT HRIDAY SE ABHARI HUN,JINHONE KISLAY JI KE MADHYAM SE MERI KALA KO JANA AUR SAMJHA,ASHA HAI KALA JAGAT MEIN AGE BHI AAP LOG ISI TARAH MERA UTSAHVARDHAN KARTE RAHENGE.
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