संस्कारधानी जबलपुर के वरिष्ठ साहित्यकार श्री ओंकार ठाकुर जी का १५ अप्रेल २००९ को उनका ७६वाँ जन्म दिन विसुलोक, मधुवन कालोनी , जबलपुर में मनाया गया। स्वागतोपरान्त संस्कारधानी के वरिष्ठ ब्लॉगर श्री महेंद्र मिश्रा जी ने उनके स्वस्थ्य जीवन की शुभकामनाएँ देते हुए उनके सुदीर्घ साहित्यिक सेवाओं को संस्कारधानी की महत्वपूर्ण उपलब्धि निरूपित किया । कहानी मंच के संस्थापक श्री रमाकांत ताम्रकार ने उनके द्बारा संपादित पत्रिका "शताब्दी" को राष्ट्र की महत्वपूर्ण पत्रिका निरूपित किया, और १९६५ से १९८२ तक प्रकाशन के दौरान उसमें देश के प्रसिद्द साहित्यकारों की रचनाओं के छपने के कारण आज भी उस पत्रिका को याद किया जाता है। हिन्दी-बुन्देली के जाने माने साहित्यकार श्री गुप्तेश्वर द्वारका गुप्त ने अपने उद्बोधन में उन्हें विशुद्ध और सहज साहित्यकार बताते हुए उनके द्बारा लिखे गए साहित्य को संजोने पर जोर देते हुए कहा कि उनके समग्र साहित्य को लिपिबद्ध कराके प्रकाशन कि आवश्यकता बताई । युवा कवि / कहानीकार श्री अरुण यादव ने इस अवसर पर उन्हें बधाई देते हुए अपनी सारगर्भित कविता सुनाई। इस अवसर पर आदरणीय ओंकार ठाकुर द्बारा आदर्श परिवार की आदर्श सुशिक्षित बेटी "तुहिना " के माध्यम से पारिवारिक आत्मीयता, देशप्रेम, और अपने आसपास के सामाजिक- सांस्कृतिक - प्राकृतिक परिवेश को ध्यान में रख कर लिखी गई एक बेहद भावनात्मक कहानी " निर्णय " का वाचन किया गया।
(छाया चित्र में श्री ताम्रकार,श्री मिश्र, दादा ओंकार ठाकुर,
श्री गुप्त, विजय तिवारी "किसलय " एवं श्री यादव जी। )
- विजय तिवारी 'किसलय'
(छाया चित्र में श्री ताम्रकार,श्री मिश्र, दादा ओंकार ठाकुर,
श्री गुप्त, विजय तिवारी "किसलय " एवं श्री यादव जी। )
- विजय तिवारी 'किसलय'
5 टिप्पणियां:
Shatabdi ke kuchh hee ank hee dekhe
vijay ji aap mujhe prati prakashan par uplabdh karaayenge....?
http://hindisahityasangam.blogspot.com/2009/04/blog-post_6757.html
आपका आभार.
आभार।
आभार
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