मंगलवार, 24 मार्च 2009

दोहा श्रृंखला [दोहा क्र ३३]

अक्सर झूठे वायदे,
'
निजहित' करते मेल
जनता बेबस देखती,
नेताओं के खेल
- विजय तिवारी " किसलय "

5 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

सुंदर दोहा ... बधाई।

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

सचाई है जी !!

श्यामल सुमन ने कहा…

खूब कहा आपने। चलिए मैं भी इसी खानदान का एक त्वरित पँक्तियाँ जोड़ दूँ।

शोभा-यात्रा बन जाती जब नेता जाते जेल।
मजेदार यह बात कि घर तक जाती रेल।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Prem Farukhabadi ने कहा…

अक्सर झूठे वायदे,'निजहित' करते मेल।
जनता बेबस देखती,नेताओं के खेल ॥
नेताओं के खेल ,bhaiya bade niraale
uupar dikhe safed aur andar se kale
in ki kathni aur karni mein bada hai antar.
janta samjhe sach par ye karen jhoote vade aksar.
doha achchha likha . badhaai ho.

बेनामी ने कहा…

नेताओं की पोल खोलता दोहा.