बुधवार, 14 जनवरी 2009

दोहा श्रृंखला [दोहा क्र २०]

देशभक्ति की भावना ,
जन्मभूमि का मान।
ऐसी शिक्षा दीजिये,
बढे देश की शान ॥

-विजय

20 टिप्‍पणियां:

बवाल ने कहा…

क्या बात है किसलय साहब ! अहा !
....
बढे़ देश की शान, शान का मान बचालो
अपने वश कुछ नहीं, तुम्हीं बगडोर सम्भालो

Dev ने कहा…

आपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

देश की आन बान शान के लिए शिक्षा और देश प्रेम की भावना होना चाहिए . बहुत बढ़िया

Poonam Agrawal ने कहा…

Bahut sunder bhav hai....aap nishchya hi badhai ke patra hai
REGARDS

Ashutosh ने कहा…

aap ne bahut hi sundar kavita likhi hai .aap ki samvedna gajab ki hai. aap kabhi hamare blog par aaiye ,aap ka swagat hai.follower ban hame sahyog dijiye.

http://meridrishtise.blogspot.com

BrijmohanShrivastava ने कहा…

अति सुंदर दोहा

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

देशभक्ति की भावना ,
जन्मभूमि का मान।
ऐसी शिक्षा दीजिये,
बढे देश की शान ॥

Bhot khoob......!!

hem pandey ने कहा…

किसलयजी लिखते रहें
दोहे, यह है ठीक.
पाठक को मिलते रहे
इन दोहों से सीख.

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

जब साथ हमारे- सबके, आकर खड़े बवाल
फ़िर डर है काहे का, हम लेंगे सभी सम्हाल
शुक्रिया बवाल जी , स्नेह बनाए रखें..
- विजय

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

महेंद्र भाई
बहुत बहुत शुक्रिया
आपके द्बारा दिया गया प्रोत्साहन
मेरे लिए बहुत अहम् बात है
- विजय

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

शोभना जी
सादर अभिवंदन
आपकी टिप्पणी पढ़ कर हार्दिक आनंदानुभूति हुई कि
आज भी ऐसे साहित्यकार हैं जो सूक्ष्मता से पढ़-गुनकर साहित्य का
मान रखते हैं, उस पर सार्थक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं.
आपका आभार
-विजय

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

हेम जी
आपके स्नेह और प्रतिक्रिया के लिए आभार
- विजय

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

आशुतोष दुबे "सादिक जी
अभिवंदन
आपके द्बारा की गई प्रसंशा के लिए आभार

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

आदरणीया हरकीरत जी
मेरे ब्लॉग पर आकर मेर साहित्य पढने के लिए आभार.
-विजय

sandhyagupta ने कहा…

Bahut khub.

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

संध्या गुप्ता जी
अभिवंदन
आपको मेर दोह पसंद आया .
आभार
-विजय

Om Sapra ने कहा…

SHIRI VIJAY KISLAY JI
BAHUT KHUB
BAHUT ACHA LIKH RAHEN HAI
BADHAI HO.
CONGRATULATION FOR EMOTIONAL TOUCH WITH A FORCEFUL LANGUAGE.
AGAIN CONGRATULATIONS
-WITH REGARDS
-OM SAPRA, DELI-9
9818180932

Om Sapra ने कहा…

shri vijay ji
pl keep continue sending me your comments and poems etc. for reading
thanks and regrds
Om sapra
9818180932
omsapra@gmail.com

Unknown ने कहा…

Namaskar Kishlay ji, Mai santosh delhi se. Bahoot khoob aapka doha hai hai. Jis tarah se desh me logo ki mansikta kharab hoti ja rahi hai uske hisab se desh ka future sonchne yogya ho gaya hai. aapke is dohe ka bhao agar sare hindustaniyon ke man men aa jaye to hindustan ko ati shighra viksit hone se koi nahi rok sakta.

thank you,
santosh

Unknown ने कहा…

भजन करो भोजन करो गाओ ताल तरंग।
मन मेरो लागे रहे सब ब्लोगर के संग॥


होलिका (अपने अंतर के कलुष) के दहन और वसन्तोसव पर्व की शुभकामनाएँ!