शनिवार, 3 जनवरी 2009

दोहा श्रृंखला [दोहा क्र. १६]

काबू रख निज क्रोध पर,
दिल सबके लो जीत
नम्र भाव से जगत में,
रचो प्रेम के गीत

- किसलय

6 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

bahut achhi lagi

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

रश्मि जी
नमस्कार
आप मेरे ब्लॉग तक
आए और देखा-पढा
आभार
आपका
-विजय

मुकेश कुमार तिवारी ने कहा…

दिल-मन को,
जीत के किसलय
रचें प्रेम गीत

मुकेश कुमार तिवारी

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

मुकेश जी
नमस्कार
बड़ी खुशी हुई,जो आप मेरे ब्लॉग में आए और मेरी साहित्यिकी देखी / पढ़ी ,
साथ टिप्पणी भी टंकित की .
आभार

आपका
विजय

बेनामी ने कहा…

It seems a little more than I need to check the information, because I was thinking: Why does not my GLOG these things!

बेनामी ने कहा…

I think I come to the right place, because for a long time do not see such a good thing the!
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